आपने कितनी बार अपने बच्चों को आश्चर्य जनक ढंग से देखा है और उनमें भरपूर ऊर्जा, तत्परता और निपुणता को सराहा है? उनकी शुद्ध, कच्ची प्रतिभा विस्मयकारी और प्रेरणादायक होती है। एक क्षण बाद ही, आप अपनी पलक झपकने की अनिवार्य गलती कर बैठते हैं। और विडंबना ये है कि वही गुण आपको दीवार पर चढ़ा देते हैं। क्योंकि आप चाहे पसंद करें या न करें, प्राय: बच्चे अपनी स्वाभाविक प्रतिभाओं का अंत कम सराहनीय बातों पर कर बैठते हैं – जैसे उल्टा जवाब देना, झूठ बोलना, और अपने छोटे अपराधों के लिए बहाने बनाना।

आपने महामारी के दौरान उनकी लम्बी ऑनलाइन कक्षाओं के समय उनकी कुछ नई चालों और विचलनों को देखा होगा। कक्षा के दौरान, लॉगिन रहते हुए, ऑनलाइन गेम्स खेलना, यू ट्यूब अपडेटस चेक करना, इधर उधर घूमते हुए अपने भाई बहन को देखना कि वे क्या कर रहे हैं – बच्चे आपको अनुमान लगाने देते रहते हैं। यह उनके आकर्षण का एक भाग है। और यदि यह एक सीमा तक हो तो ठीक है।

20-20-20: त्वरित नेत्र व्यायाम

लगातार कई घंटे तक स्क्रीन पर देखते रहना, किसी के लिए भी थकान देने वाला होता है। अपने बच्चों को 1 मिनट के लिए अपनी आँखों को विश्राम देने के लिए यह सरल व्यायाम करने के लिए कहें। हर 20 मिनट बाद, उन्हें 20 फुट दूरी पर देखना चाहिए और अपनी आँखों को 20 बार झपकाना चाहिए।

उर्जा को दिशा देने वाले ध्यान:

इसमें कोई शक नहीं है कि बच्चों में बहुत अधिक सकारात्मकता होती है, पर यदि इसे अपने आप पर छोड़ दिया जाए तो यह विनाशकारी हो सकती है। माता पिता इस स्वाभाविक ताकत और योग्यता को सही दिशा देना चाहते हैं ताकि बच्चा हार न माने और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे। इस लक्ष्य को बिना किसी रुकावट के पाने का प्रमाणित तरीका ध्यान है।

चाहे आप अपने आठ साल के चुलबुले बच्चे को बैठने और ध्यान लगाने को कहते हैं या मनमौजी युवा बच्चे को इज्जत से बात करने के लिए कहें, ध्यान एक ऐसा सुविधाजनक तरीका है जो पीढ़ीयो के अंतर के बीच समय के साथ एक पुल का काम करता है।

कई शोध आधारित ध्यान के लाभ आपके बच्चे में आए जंगलीपन को सुन्दर रूप में बदल सकते हैं, उनके काँटेदार रास्तों को मुलायम कर सकते हैं जो उन्हें शानदार जीवन दे सकता है जो कि उम्र शायद उन्हें न सिखा पाए।

बहुत प्रकार के ध्यान उपलब्ध हैं, जिन्हें खोजा जा सकता है, और ध्यान के अनेकों लाभ हैं। बच्चों व किशोरों के लिए छोटे ध्यान हैं, और उनको बाल सुलभ कैसे बनाएं, इन सबके लिए तरीके और सुझाव हैं।

आपके बच्चे के लिए ध्यान के लाभ:

ध्यान से आपके बच्चे का छुपा हुआ स्वभाव बाहर आता है, ये स्वभाव बहुत ही शुद्ध और सुंदर होता है और खुशी लाता है। इस वातावरण में बच्चे बहुत ही शांत और उर्जायुक्त रहते हैं। ऐसे वातावरण में बच्चे आराम शांति और उर्जावान महसूस करते हैं।ध्यान बेचैन बच्चे को दिशा देता है, लापरवाह बच्चे को संवेदनशीलता देता है, घबराहट को शांत करता है, और बच्चों में उग्रता को नरम करता है। इसलिए माता पिता को स्वाभाविक रूप से अपने बच्चे खासकर किशोर, जो कि स्वभाव से ही बेचैन और मनमौजी होते हैं, उन के लिए इस साधारण तरीके का लाभ लेना चाहिए ।

शायद इस समय खास प्रश्न आपके मन में आ रहा होगा कि मैं अपने बच्चे/ किशोर को ध्यान की तरफ कैसे लाऊं, वह इसे करना नहीं चाहता। इसलिए हमारे पास कुछ साधारण विधियां हैं जो आपके बच्चे की इस असाधारण समस्या का हल कर देंगी। हमारी बताई हुई कुछ विधियां आपको उपयोगी लगेंगी। क्योकि 8-12 साल उम्र के बच्चे को व 13-18 साल के किशोर के (जो  कुछ परीपक्व होते हैं) लिए हर विधि में कुछ भिन्नता का सुझाव दिया गया है।

बच्चों द्वारा किए जाने वाले वाले कुछ छोटे ध्यान के तरीके

1. अपनी सांस को ऐसे देखें जैसे ये आपका सबसे अच्छा मित्र हो ।

अपने बच्चे के लिए ध्यान शुरू करवाने का सबसे अच्छा तरीका है कि उन्हें आँखे बंद करके धीरे- धीरे सांस अंदर और बाहर लेने को कहें और 2-3 मिनट सांस की तरफ ध्यान देने को कहें। उन्हें अपनी अंदर आती हुई सांस को ‘हैलो’ और जाती हुई सांस को ‘बाय’ बोलने को कहें।

चेहरे की मसपेशियों को विश्राम दें, जो लम्बे समय स्क्रीन के संपर्क में रहती हैं

बढ़ते हुए स्क्रीन टाइम की वजह से सूक्ष्म योगा तकनीक जो बहुत ही साधारण है, चेहरे की मांस पेशियों को राहत देने के लिए बहुत ही आवश्यक है। हमारी ज्ञानेंन्द्रियां जो बिना थके हमारे लिए दिन – रात काम करती हैं हम उनका कितना ध्यान रखते हैं? आँखें, भवें, कान, मुंह, ठोड़ी और गालों का व्यायाम करने का सबसे बेहतरीन समय यही है। यह बच्चों को कक्षा शुरू होने से पहले जोश में लाने के लिए हो सकता है।

2. प्राणायाम ध्यान की ओर जाने का रास्ता

बाहर की दुनिया में शारीरिक सत्र लगाने के बाद बच्चे थके हुए घर आते हैं। कई बार वे परेशान होते हैं कि उनकी अपने साथी के साथ कुछ कहा सुनी हो गई या उनका मन अच्छा नहीं है, वास्तव में बच्चे तो बच्चे ही हैं, ऐसे समय उन पर पूरा ध्यान दें। उन्हें कहें कि हाथ पैर धोकर वो आपके साथ बैठें, आँखें बंद करें और गहरी सांसें लें, इससे उनकी असहमति की भावना और थकावट दूर होगी।

एक बार जब आपको विश्वास हो जाए कि अब वे नियंत्रण में हैं तो उन्हें भ्रामरी प्राणायाम करने को कहें। यह एक ऐसा मजेदार तरीका है जिसमें बच्चे मधुमक्खी की तरह आवाज करते हैं। सुखद भावनाएं जिनका वे अनुभव करते हैं उन्हें शांत होने और अपने अन्दर जाने में सहायक हैं। एक दूसरा व्यायाम भस्त्रिका प्राणायाम है जो बच्चे की थकान बिल्कुल दूर कर देगा। यह व्यायाम न केवल थकावट दूर करेगा बल्कि बच्चे को शक्ति भी देगा।

कुछ सुझाव: अपने बच्चे को शारीरिक व्यायाम करने के बाद ध्यान करने के लिए कहें

यह जरूरी है कि बच्चे शारीरिक व्यायाम करें। उन्हें खेलने या योगासन करने को प्रोत्साहित करें। ऐसा करना उन्हें शारीरिक उर्जा उपयोग करने में सहायता करेगा और उन्हें कम थकाएगा। जब बच्चे थके हुए होंगे तब आप उन्हें सुनने के इच्छुक और एक जगह पर बैठने को तैयार पाएंगे।

नोट: 8-12 साल की उम्र के बच्चो के लिए ये प्राणायाम उतने ही उपयोगी हैं जितना ध्यान। उन्हें केवल 5 मिनट ही ऐसा करने के लिए कहें। 13-18 साल के बच्चे को आप 5-10 मिनट आंखे बंद कर के अपनी सांस पर ध्यान रखकर शांत बैठने को कह सकते हैं।

3. अपने दिन की शुरुआत ध्यान के लिए एक साधारण मंत्र से करें

बच्चों को साधारणतया कुछ सुझावों की जरूरत होती है, जबकि उनके विचार अलग अलग और बहुत तेजी से बदलने वाले होते हैं। खासकर जो बच्चे 10 साल से कम उम्र के हैं वे अपने साथ समय बिताना नहीं चाहते। आपने देखा होगा कि जो शांत बच्चे हैं, वे आंखे बन्द करना और अकेले बैठना पसंद नहीं करते, ऐसा करने में उन्हें डर लग सकता है। ऐसी हालत में उन्हें एक मंत्र की सुरक्षा और सहारा देना ठीक रहेगा।

नोट: 8 साल से 12 साल के बच्चे साफ- साफ, जोर से ॐ नमः शिवाय बोल सकते हैं और आराम से 2-3 मिनट शांति से बैठें। यह उन्हें वयस्त रहने को कहेगा जबकि उनकी आँखें बन्द हैं, ये उनको शांत व उनकी चुलबुलाहट कम कर देगा। 13-18 साल के बच्चे ॐ नमः शिवाय का  जाप करते हैं और  5-10 मिनट ध्यान में चले जाते हैं।

इन तीन शब्दों का अर्थ  समय के साथ उनके मन में चला जाएगा कुछ बच्चे अपने आप भी यह मंत्र कहेंगे जब वह चिंतित महसूस कर रहे होंगे। आप यह भक्तिमय मंत्र जो भानुमति नरसिमहन जी ने गाए हैं, इनका प्रयोग ध्यान के समय भी कर सकते हैं।

4. बच्चों को व्यावहारिक बनाने के लिए संस्कृत श्लोको का उच्चारण

बच्चे अपने आसपास के वातावरण, टी. वी. शो और दोस्तों से बहुत प्रभावित होते हैं। ये सभी और उनकी उम्र उन्हें इस काल्पनिक दुनिया में रहना सिखा देती है और उन्हें सच्चाई से काफी परे ले जाती है।

यह  इस तरह की प्रक्रिया है जो उन्हें वास्तविकता में रहना सिखाती है। धटना से प्रभावित हुए बिना उन्हें  यह सब सीखने के लिए परिपक्वता चाहिए।

शोध द्वारा यह पता चला है कि जब हम श्लोक का उच्चारण करते हैं तो  हम स्वस्थ और सकारात्मक बनते हैं। यह मधुर प्रभाव हमें सेहतमंद और सकारात्मक बनाता है।

बच्चों के लिए कुछ मंत्रो का नित्य जाप किया जाता है जो उन्हें वहम से बचाते हैं, उनको सुविधाजनक महसूस करवाते हैं व अपने माहौल में रहने की आदत डालते हैं। आप नित्य संगीत के ट्रैक ‘नित्य श्लोक’ से खरीद सकते हैं। जब भी आपका बच्चा ध्यान करे तब इन श्लोकों को बजाएं या गायन करें

नोट: 8 से 12 साल के बच्चे का दिमाग श्लोक को बहुत जल्दी सीखने के लिए तैयार कर देता है। यह  सुबह का ध्यान करने के लिए भी अच्छा हो सकता है। ऐसे किशोर बच्चे जो की बहुत ही तेज मिजाज हैं उनके लिए भी यह लाभदायक हो सकता है। हमें इन सबको बहुत ही कम समय के लिए रखना चाहिए ताकि हमारी हर ग्रुप के साथ जीत हो सके।

कुछ सुझाव: इसे कम अवधि का व सरल रखें

20 मिनट का ध्यान बच्चों के लिए मुश्किल और थकाने वाला हो सकता है। अगर हम उन्हें ऐसा करने की जबरदस्ती करेंगे तो हमें लम्बे समय तक मुश्किलें आएंगी। अगर आप पहली बार उन्हें अपने साथ किसी तरह जोड़ भी पाए तो अगली बार उन्हें लाना मुश्किल हो सकता है।

शुरु से ही बहुत अधिक महत्वाकांक्षी नहीं होना चाहिए ध्यान के लिए बोले जाने वाले शब्द बहुत छोटे होते हैं, उन्हें केवल 5 से 10 मिनट ध्यान करने के लिए कहें। आप यह पाएंगे कि छोटे बच्चों के लिए कुछ समय का ध्यान ही काफी प्रभावशाली है, ध्यान का समय बच्चे की उम्र पर निर्भर करता है,10 साल के बच्चे के लिए 10 मिनट का ध्यान काफी है। आप श्री श्री रविशंकर जी का सात मिनट का निर्देशित ध्यान भी करवा सकते हैं।

अगर आपके घर में कोई ऐसा बच्चा है जो कि लंबे समय यानी 15 मिनट का ध्यान करने को तैयार है तो उसको गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के साथ ध्यान करवा सकते हैं। 

5. आभामंडल निर्देशित ध्यान में कैसे जाएं

बिना ज्यादा प्रयास किए तनाव से मुक्ति कैसे पाएं और ऊर्जा कैसे प्राप्त करें? अपने बच्चे को बस बैठने को कहें। गुरुजी की दोस्ताना आवाज उन्हें आराम से बैठने को मजबूर कर देगी। सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें कोई मेहनत नहीं है, बच्चे इस अनुभव से बाहर आते वक्त एकदम ताजा और अपनी सांस के साथ अपनापन महसूस करते हैं।

नोट8 से 12 साल की उम्र की बच्चों के लिए माता-पिता द्वारा दिया गया कुछ ज्ञान उनकी सहायता करेगा। एक बात और कि ध्यान को कम समय का व साधारण रखें ताकि बच्चा ध्यान करने की प्रतीक्षा करे। युवा बच्चे गुरुजी के आदेशों का लाभ ले सकते हैं ।

6. समूह में ध्यान और सत्संग में भाग लेना

बच्चे खासकर युवा अपने दोस्तों की नकल करने की कोशिश करते हैं, इसलिए यह सबसे अच्छा तरीका है कि बच्चों को ग्रुप में ध्यान कराया जाए।

8 से 12 साल के बच्चे के लिए 30 मिनट का ध्यान रखा जा सकता है जिसमें 10 मिनट का खेल भी हो। शुरुआत में कुछ बच्चे आंख खोल कर देखेंगे, पर जब बच्चों को एहसास हो जाएगा कि उनके कुछ दोस्त अच्छे से ध्यान कर रहे हैं तो वह उनसे प्रभावित होंगे और वह भी ऐसा ही करने लगेंगे, यह धीरे-धीरे उनका अभ्यास बन जाएगा।

13 से 18 साल के किशोर बच्चेः बच्चे, खासकर युवा, अपने दोस्तों की नकल करते हैं। इसलिए अपने बच्चे को ध्यान करवाने के लिए आप समूह में ध्यान करवाएं।

7. बच्चों को निर्देशित  ध्यान – योग निद्रा की आदत डालें

कई बार बच्चे खेलने के बाद इतना थक जाते हैं कि वह सीधे बैठ भी नहीं पाते, ऐसे में अगर वह लेट जाएं या ध्यान करें तो कैसा रहेगा। कुछ बच्चे ऐसा करना बहुत आसान मानते हैं क्योंकि इससे उन्हें आराम मिलता है इसलिए बच्चों के लिए सबसे अच्छा ध्यान यही है। अगर वह निद्रा में जाते हैं तो यह बिल्कुल ठीक है, अगर उन्होंने पूरा आराम कर लिया है तो वह ध्यान कर सकते हैं वह ऐसा अनुभव करेंगे कि नींद से ज्यादा आराम सजगता पूर्वक विश्राम में मिलता है।  इस ध्यान के लिए बच्चे कभी भी मना नहीं करेंगे।

5 मिनट के साधारण ध्यान:

  1. आंखें बंद करके बच्चे को गहरी सांस लेने को कहें और ऊंचे स्वर में ओम का उच्चारण करें और साथ- साथ सांस छोड़ने को कहें।
  2. बच्चे प्रतियोगिता को बहुत प्यार करते हैं, उन्हें सूर्य नमस्कार करने को कहें, 6 राउंड से शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे इसको 12 या 18 और आगे बढ़ा सकते हैं इसके बाद उन्हें 5 से 10 मिनट आराम करने को कहें।
  3. उछलना बच्चों द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली एक गतिविधि है, उन्हें कुछ उछलने और कूदने का व्यायाम करने को कहें, 2 मिनट आराम से बैठ जाएं।
  4.  उन्हें प्रकृतिक माहौल में ले जाएं और आकाश को कुछ समय तक लगातार देखने को कहें, अपने आसपास की हरियाली को भी शांति से देखें।

युवाओं के लिए कम समय में किए जाने वाले ध्यान की तकनीकें

1. राम ध्यान (निर्देशित ध्यान)

यह ध्यान एक नया खोजा गया निर्देशित ध्यान है जो बच्चे को ध्यान मे सहायक होगा। संस्कृत मे ‘रा’ मतलब रोशनी ‘म’ मतलब मुझमें, इसलिए राम का मतलब है मेरे अंदर रोशनी। यह ध्यान बिना मेहनत के बच्चे को शोर से खामोशी की ओर ले जाता है।यह ध्यान बच्चे को गहरे आराम में ले जाता है और अपने अंदर से जोड़ता है।

2. हरि ओम (निर्देशित ध्यान)

यह ओम शब्द का उच्चारण करते हैं, हम अपने शरीर के बहाव की दिशा बदल देते है, जो नकारात्मक भाव को सकारात्मक भाव में बदलता है, इसलिए जब आपका युवा बच्चा ध्यान कर रहा हो तब इस निर्देशित ध्यान को चलाएं।

3. भावनाओं में परिवर्तन लाने के लिए निर्देशित ध्यान:

एक उग्र जवान बच्चे की थाह ऐसे ही कोई नहीं पा सकता जैसे चोटियों की ऊँचाई और घाटियों की गहराई। वे अच्छे और बुरे समय के बीच उछलते रहते हैं और अविश्वसनीय रुप से बात को बढ़ा चढ़ा कर कहते हैं। यह वास्तव में उनका कसूर नहीं है, वे उम्र के ऐसे पड़ाव पर हैं कि वे लगातार अपने शारीरिक और मानसिक विचारों में संतुलन बनाना चाहते हैं। ये उनके जीवन का वह समय होता है जब वे दोराहे पर होते हैं जब उनकी शारीरिक बनावट में परिवर्तन आता है व उनकी भावनाएं उन्हें विचलित करती हैं

गुरदेव द्वारा बताए गये ध्यान उनकी भावनाओं में परिवर्तन लाने में सहायक हो सकते  हैं जो उन्हें मजबूत और सकारात्मक सोच की ओर ले जाते हैं, जहाँ वे शांतचित्त महसूस करते हैं।

4. अपनी मुस्कराहट को विकसित करें (निर्देशित ध्यान):

दिल से आने वाली मुस्कराहट को एक बच्चे से अच्छा कौन जानता है। इस निर्देशित ध्यान में आपकी मुस्कान का सकारात्मक प्रभाव सारी नकारात्मकता दूर कर देगा। यह ध्यान उन युवाओं के लिए लाभदायक है जिन्हें हमेशा ही गलत समझा गया है, जो दुनिया में अपनी एक जगह बनाना चाहते हैं। अगर आप अपने बच्चे को जिम्मेदार और परवाह करने वाला नागरिक बनाना चाहते हैं तो गुरुदेव का अनुसरण करें ताकि आपकी एक पहचान बन सके।.

ध्यान के बाद के लिए कुछ सुझाव

जैसे ही आपके बच्चे ध्यान का अभ्यास कर लेते हैं, उन्हें  चित्रकला जैसे रचनात्मक कार्य में व्यस्त कर दें।

दिमाग का दायां और बायाँ भाग

तर्कसंगत, व्यवस्था और विश्लेषण के लिए दिमाग का बायां भाग जिम्मेदार है, जबकि दांया भाग रचनात्मकता, कला और सहज ज्ञान के लिए है। ध्यान दोनों तरफ का संतुलन बनाकर रखता है इसलिए आप एक ही समय काल्पनिक और होशियार हो सकते हैं!

ध्यान के बाद बच्चे दिमागी कोलाहल से बाहर आ जाते हैं और अपने क्रियात्मक पहलू  की तरफ जाते हैं। कुछ बच्चों के मन की बात चित्रकला के माध्यम से बाहर आती है। आपने देखना है कि क्या आपका बच्चा भी इनमें से एक है! अगर ऐसा है तो आपको उसकी दिनचर्या की चिंता करने और बार- बार अभ्यास करने के लिए कहने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

ध्यान का असीमित लाभ यह होगा कि अब आपके बच्चों के साथ कोई टकराव नहीं है, आपका आपके बच्चों के साथ सम्पर्क और वार्तालाप पहले से अधिक प्रगाढ़ हो गया है – ऐसा कहना चाहिए – एक बेशकीमती लाभ।

अगर आप अपने बच्चे के लिए ऐसे दोस्ताना साधन जो बच्चों की  चिंता, डर, बेचैनी दूर कर दें जहाँ रोचक तरीकों  से, उन्हें उत्कर्ष योग (8 से13 साल के बच्चों के लिए) और मेधा योग (13+ से18 साल के बच्चों के लिए) ये कार्यक्रम सरल और स्वाभाविक रूप से और बच्चों के लिए ही तैयार किये गये हैं,  जो बच्चे के अन्दर एक सुधार का सुर लाएंगे।

श्रेया चुघ, आर्ट ऑफ लिविंग प्रशिक्षिका द्वारा दिए गए इनपुट्स के आधार पर लिखा गया।